सोमवार, 20 जुलाई 2015

बहार के साथ

बहार के साथ

उनका जवाब आया सवाल के साथ
नहीं बनना अनारकली मिसाल के साथ

दोहराएंगे इतिहास फिर वे अहम में
चुन देंगे कनिजको दिवार के साथ

मोहब्बत का कदर तो जिगरवाले करेंगे
क्या करना मोहब्बत तलवार के साथ

उंच नीच गरीब धनि दीवारें है ऊँची
खड़ी है चारों तरफ दरवार के साथ

रिस्ता तोड़नेका खोजेंगे नुक्स बहुत
लगाएंगे भाव इश्क का बाजार के साथ

बजती है घुंगरू रोज आँगन के महफिल में
कैसे बिताऊं जिंदगी ऐतवार के साथ

बाँहो में भर के चूमना उस शख्स को कैसे
मुह जुठाए चलते है जो हजार के साथ

ये भूखे नहीं मोहब्बत के वासना के है प्यासे
क्या इश्क करना किसी बीमार के साथ

मांगते है खुल के दहेज़ सोना चांदी गहने
क्यों डोली चढ़ूँ किसी भिखार के साथ

नहीं बिताना जिंदगी अब चूल्हा चौका कर के
नाचूं गाऊं खेलु कुदु हर बहार के साथ
२०-०७-१९६०

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