चन्द लम्हे अपने नाम करे
  छोड़ कर जद्दोजहद जिंदगी की
  कभी वक़्त निकाल खुद से बात करे
  आओ स्वंय से मुलाक़ात करे !! 
सोचते, विचारते, संवारते प्रत्येक क्षण
  देश दुनिया तो कभी आस पड़ोस के लिए
  सोचा नही क्या होगा इस  माटी तन का
  चलो त्याग कर सब कुछ अंतर्ध्यान करे
  आओ स्वंय से मुलाक़ात करे !! 
उम्र तमाम गुजारी हमने
  धन दौलत और यश कमाने में
  अच्छा किया, बुरा किया सोचा नही
  चलो एक बार खुद का अवलोकन करे
  आओ स्वंय से मुलाक़ात करे !! 
बैलगाड़ी की तरह खुद को ठेलते रहे
  हँसते रोते जिंदगी के थपेड़े झेलते रहे
  न मिला वक़्त स्वंय को टटोलने का
  चलो आज दिल के रिक्त स्थान भरे
  आओ स्वंय से मुलाक़ात करे !! 
डी. के निवातियाँ __@@@
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