सोमवार, 27 जुलाई 2015

काश ! वो पल मै भी जी पाता !!

    1. क्या क्या बसता मेरे अंतर्मन में,
      मन की व्यथा तुमसे कह पाता !
      जख्म आज भी ताजा है यादो के,
      काश ! तुमको ये दिखला पाता !!

      समझ सकते तुम मेरा मौन,
      न लबो से मैं कुछ कह पाता !
      नजरो ही नजरो में बाते करते,
      काश ! दिल की किताब पढ़ पाता !!

      जब होता मन दुखी व्यथित,
      आकर तनिक समझा जाता !
      मन की उठती पीड़ा पर जो,
      काश ! प्रीत का मरहम लगा जाता !!

      तुम मेरी प्रीत, प्रेरणा तुम हो,
      तुम ही, दोस्ती की परिभाषा !
      धड़कता है ये दिल तेरे नाम से,
      काश ! तुमको ये समझा पाता !!

      भटक सा गया जीवन पथ पर,
      वो मुझसे राहो में टकरा जाता !
      गाकर प्रेम गीत अपने लबो से,
      काश ! मुझे ढांढस बंधा जाता !!

      कर के तुम से दो बाते मीठी सी,
      इस दिल को सुकून मिल पाता !
      सहलाते मेरी भीगी पलकों को,
      काश ! वो पल मै भी जी पाता !!

      डी. के निवातियाँ ________@@@

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