इन कविताओं का क्या हशर होगा ?
  सोचता हूँ,
  क्या इनका कोई असर होगा ?
  या यूँ ही,
  किताबों की क़ब्र में, इनका बसर होगा ? 
कहते है की तलवारों से अधिक,
  लफ़्ज़ों मैं धार होती है I
  इन पंक्तिओं  मैं,
  दिल की भावनाएँ इज़हार होती है I
  गम हो, तो यह रोती है,
  और ख़ुश हो,
  तो शब्दों की मोती पिरोती है,
मगर, इन आँसुओं और मोतीओं का
  क्या कदर होगा ?
  सोचता हूँ !
  क्या तुम्हारे दिल में,
  इनका कोई असर होगा ?
  या फिर,
  किताबों की क़ब्र में, इनका बसर होगा ?
-पार्थ
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