शनिवार, 25 जुलाई 2015

कविता की क़िस्मत

इन कविताओं का क्या हशर होगा ?
सोचता हूँ,
क्या इनका कोई असर होगा ?
या यूँ ही,
किताबों की क़ब्र में, इनका बसर होगा ?

कहते है की तलवारों से अधिक,
लफ़्ज़ों मैं धार होती है I
इन पंक्तिओं मैं,
दिल की भावनाएँ इज़हार होती है I
गम हो, तो यह रोती है,
और ख़ुश हो,
तो शब्दों की मोती पिरोती है,

मगर, इन आँसुओं और मोतीओं का
क्या कदर होगा ?
सोचता हूँ !
क्या तुम्हारे दिल में,
इनका कोई असर होगा ?
या फिर,
किताबों की क़ब्र में, इनका बसर होगा ?

-पार्थ

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