शनिवार, 1 अगस्त 2015

दीप की बाती हो कोई !!

चेहरा है या रिसाला है कोई
नैन है या मधुशाला है कोई
बस तुम्हीं आखरी मंज़िल हो
न जाने इन्सां हो या परी हो कोई

तुम्हें याद करके आता है बहार कोई
तुमसे बात करके आता है करार कोई
समाती हो इस तरह मेरी धड़कन में
जैसे सुंगंध का सत हो कोई

तेरे बालों में छुपा मौसम है कोई
तेरी आवाज में छुपा कसक है कोई
ढूंढ़ता हूँ मैं तुम्हारी आँखों में
जैसे खोई हुई मेरी चैन हो कोई

तुम्हारे हाँथ है या पुष्प माला है कोई
तुम्हारा साथ है या स्वपन है कोई
इस रूप में है तुम्हारा साथ मुझे
जैसे किसी दीप की बाती हो कोई

तेरी चाल है या मधुर झंकार है कोई
तेरी धड़कन की आवाज है या पुकार है कोई
दूर रह कर भी धड़कन तेरी सुनाई देती है
ऐसा लगता है, दो जिस्म एक जान हो कोई !

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