शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

लो पेशावर में हुआ धमाका और 10 की गई जान

पाकिस्तान तुम क्या कभी ख़ुद पर ज़ार ज़ार नहीं रोते? हमें तो आंसू आते हैं और रोना भी। दिल भर आता है जब किसी की भी जमीं पर इंसान के ख़ून बहा करते हैं।
ख़ून किसी भी देश की जमीं पर बहे। धमाका किसी भी भूगोल में हो। दरअसल मरने वाले तो उसी के बंदे हैं। या ख़ुदा उन आत्माओं को शांति दे।
शांति उन्हें भी मयस्सर हो जिन्होंने इस वारदात को अंजाम दिया है। उनकी आत्मा भी बेहद परेशां है और अशांत भी। वरना ऐसी दारूण घटना को अमलीजामा पहनाने में पत्थर के दिल चाहिए होते हैं।

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