आनंद का ये आखिरी सफ़र कुछ यूँ  कट गया
  की आराधना में उनकी हर शीश झुक  गया
  माना रंगमंच की वो कठपुतली दुनिया से आज हो गई है अलग-अलग
  मगर प्रेम उनका सबके दिलो में रहेगा हमेशा अमर
  अगर तुम न होते ,आपकी अदाए  न होती
  कोरा कागज बन के रह जाता ये फ़िल्म जगत
  जिंदगी को आखिरी ख़त लिखने वाले ऐ बहारौ  के आशिक
  स्वर्ग के दो रास्तो में ही गिरेगी तेरी कटी पतंग
  न दुश्मन है कोई, न जीवन में कोई दाग
  हर बाबु मोशाए  को है आपसे अनुराग
  आखिर क्यूँ न हो आपकी ख़ामोशी का गम
  ऐ  छला  बाबु….न भूलेंगे कभी आपको आप की कसम
  अनुरोध है मेरा न बहाओ आंसू उनके nears एंड dears
  क्यूंकि काका कहते थे i hate tears …..
शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015
shradhanjali to Mr.late rajesh khanna
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें