गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

।।गुनाह।।गजल।।

।।गुनाह।।ग़ज़ल।।

अभी भी वक्त है वक्त की परवाह कर ले ।।
अब मंजिलो के लिए खुद को आगाह कर ले ।।

पलक झपकेगी तो मिटा देगे हस्ती तेरी ।।
बेनकाबी से पहले पैनी निगाह कर ले ।।2 ।।।

पैमाइशो के दौर में दिल की कीमत नही देखी जाती ।।
दोस्त न सही तो दुश्मनो से ही निबाह कर ले ।।3।।।

ऐ दोस्त अब मासूमियत का जमाना न रहा ।।
रास्ते जिंदगी में खुदगर्जी निकाह कर ले ।।4।।

टूट जायेगा दिल यकीनन ठोकरों से यहाँ ।।
अभी भी वक्त है कुछ तो गुनाह कर ले ।।5।।

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