प्रेम त्याग है , प्रेम तपस्या
  प्रेम है जीवन का आधार l
  प्रेम से कोई काम करो तो
  हो जायेगा वो साकार ll
प्रेम बिना सब सुना-सुना
  प्यार कहीं , न रह पायेगा l
  बिन प्यार के इस जीवन में
  जीना दुर्भर हो जायेगा ll
प्रेम  बिना ये रिश्तों की डोरी
  बांध नहीं , अपनों को पाएंगी
  ईर्ष्या और घर्णा की भावना
  चारो तरफ छा जाएँगी ll
प्रेम वो जादू की झप्पी है
  पराये भी अपने बन जाते है l
  जीवन के इस चक्र को पूरा
  करने में साथ निभाते है ll
बिन प्रेम के ईश्वर भी इस
  दुनिया की रचना न कर पाते l
  आज अगर ये दुनिया  न होती तो
  हम ये कविता कैसे लिख पाते ?

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