॥ धन्यवाद है ईश्वर ॥
तूने इतना दिया है ईश्वर
  लौटा भी न पाऊ मैं मर कर ॥
  नादाँ सा बच्चा था मैं जब
  नहीं मालूम था ईश्वर कौन है ,
  कहाँ रहता है, किसे क्या कहता है
  की रुके काम बन जाते है
  बंद दरवाज़े खुल जाते है॥
  सोच जहाँ थक जाती है
  वहां तेरी याद आती है ॥
  आँख बंद कर लेता हूँ
  और मन से मैं यह कहता हूँ 
तूने इतना दिया है ईश्वर
  लौटा भी न पाऊ मैं मर कर ॥
तू इतना बड़ा है की
  देकर भूल जाता है,
  पर मैं इतना छोटा हूँ की
  लेकर भूल जाता हूँ ॥
  पर फिर भी तू मुज़े अपनाता है
  गले लगता है
  रोउँ तो आसु सोक लेता है ॥
  तूने  इतना दिया है ईश्वर
  लौटा भी न पाऊ मैं मर कर ॥ 

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