मंगलवार, 17 फ़रवरी 2015

।।कैसे कह दूँ मैं तत्काल ।।

अब मत झांको इन आँखों से
आँखों में परछायी
अब तो बिलकुल नही रह गयी
भावो में गहरायी
अस्थाई
ठहर गया है
सम्मोहन का जाल ।।
कैसे कह दू मैं तत्काल ।। 1।।

जब देखा था और आज भी
तेरी यह सुंदरता
मनमोहक है पर आ जाती
फिर से वही विबसता
हृदय तेरा
निष्ठुरता का
परिचायक चलता है चाल ।।
कैसे कह दू मैं तत्काल ।।2।।

जिसके चलते मिले आज पर
भावो का परिवर्तन
स्नेहो को भाँप रहे तुम
संदेहो को मेरा मन
पर रहने दो
बहुत हो चुका
दर्द मिलेगा ही हर हाल ।।
कैसे कह दू मैं तत्काल ।।3।।

वर्षो पहले आश्वाशन ही
देकरके मुस्काते
आज मिले जब प्रेमपथो पर
हम ही कदम बढ़ाते
अब क्या जब मैं
स्वम किसी की
आशाओ को रहा हू पाल ।।
कैसे कह दू मैं तत्काल ।।4।।

बात नही की आकर्षण में
कमी हुई कुछ तेरे
तस्वीरें है तस्वीरों पर
ख़ामोशी है घेरे
जबकि तुमने
देख लिया है
खुद स्नेहो की हाड़ताल ।।
कैसे कह दू मैं तत्काल ।।5।।

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