रविवार, 15 फ़रवरी 2015

तुम्हारी खूबियां -गजल-शिवचरण दास

तुम्हारी खूबियां हमारी खामियां हैं
फासले इतने अब हमारे दरमियां हैं.

उस तरफ कालीन हैं ईरान के
इस तरफ धूल भरी पगडंडिया हैं .

उनकी हंसी भी हमारी मौत है
अपने रोने पर भी पाबन्दियां हैं.

हो मुबारक आपको बन गये आका
आपके लिये ही बनी सब गद्दियां हैं.

झोंपडी के सीने पर महल सम्राट के
दास ये तो बस बेबसों की बस्तियां हैं.

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