शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

मुझे याद किया होगा

बेवजह नहीं हुई कोई हरकत आबोहवा में !
यक़ीनन मेरे यार ने मुझे याद किया होगा !!

बहका बहका सा लगता रुख हवा का
करवट बदल मौसम ले रहा अंगड़ाई
गुलशन कुछ इस तरह निखरा आज
जैसे मिलन से पहले गोरी सकुचाई
ऐसे तो देखी हमने कभी बहार नही
जरूर उसने लबो से मेरा नाम लिया होगा !!

बेवजह नहीं हुई कोई हरकत आबोहवा में !
यक़ीनन मेरे यार ने मुझे याद किया होगा !!

ये बादलो के घुमड़ घुमड़ के गर्जना
नभ में गरजती बिजली का चमकना
बे मौसम की बारिश का यूँ बरसना
टप टप से बूंदो का बदन पे टपकना
ऐसे तो देखी हमने कभी बयार नही
जरूर उसने लबो से मेरा नाम लिया होगा !!

बेवजह नहीं हुई कोई हरकत आबोहवा में !
यक़ीनन मेरे यार ने मुझे याद किया होगा !!

ऐसे तो बात बनती नही किसी भी हालात में
शायद होंगे वो भी हमारी तरह से जज्बात मैं
कैसे सह लेते है वो किसी से जुदाई का गम
जरूर पूछेंगे उनसे अब की बार मुलाक़ात में
ऐसे तो देखी हमने कभी दरार नही
जरूर उसने लबो से मेरा नाम लिया होगा !!

बेवजह नहीं हुई कोई हरकत आबोहवा में !
यक़ीनन मेरे यार ने मुझे याद किया होगा !!
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डी. के. निवातियाँ __________***

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