गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

जिनकी आंखों मे पत्थर हैं-गजल-शिवचरण दास

जिनकी आंखों में पत्थर हैं सच कैसे सह पायेगें
उनके खुद के शीश महल हैं ये कैसे समझायेगें.

चेहरे पर गहरी मायूसी नजरों में मक्कारी है
कातिल हंसकर आते हैं सबको गले लगायेगें.

एक घाट पर शेर भूखा एक तरफ बकरी प्यासी
पंचशील के नियम निराले कब तक जान बचायेगें.

प्यार बिका चांदी के बदले उसका है पलडा भारी
रोटी के लाले हैं जिनको कैसे प्यार निभायेगें.

पहले सूखा चलकर आया अबकि बाढ बुलाइ है
लोगो के घर बह जायेगें अपने घर बन जायेगें.

जिसने चौराहे पे मुझको शूली पर है लटकाया
सबसे पहले रोने वो ही मेरे घर पर आयेगें.

सूरज ने पहचान लिया है दुनिया की खुदगर्जी को
अपने आप जलाकर खुद को लोटा भर जल पायेगें.

पानी की लहरों पर लिखकर रोज इबारत भेज रहे
हम तो डूब रहे हैं लेकिन तुमको भी ले जायेगें.

दास मीनारॉ से तकती है गिद्धों की सेना भूखी
उन्हे यकी है लोग यहां सब भूखे ही मर जायेगें.

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