शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

मूक दर्शक

कोई मस्ताना कहता है,
कोई परवाना कहता है।
मेरे दिल की गहराई में झांको,
तेरा चेहरा झलकता है।

तू मुझसे चली गयी,
मेरे दिल को अखरता है।
तू मुझसे दूर है लेकिन,
दिल के करीब लगती है।

मैं तेरे प्यार में पागल,
तू मेरे प्यार की दीवानी।
ये तेरा दिल समझता है,
या मेरा दिल समझता है।

इस दुनिया को तेरा मेरा,
रिश्ता बेमाना लगता है।
हमारे रिश्ते की पवित्रता को,
केवल खुदा समझता है।

ये दुनिया वाले लोग हैं,
केवल वही चार लोग।
जिनका नाम ले ले कर,
रिश्तेदार उलाहना देते हैं।
कि तुमने किया गलत कुछ भी,
बोल बोल कर हमारी जान ले लेंगे।

ना बोले पलट कर कुछ भी,
तब भी यही प्रक्रिया होगी।
नहीं तो भरी महफ़िल में,
द्रोपदी सी चीर हरण होगी।

इन सबसे बचना है तो,
बुलंद अपनी आवाज करो।
नहीं तो मूक दर्शक से,
तालियाँ बजाओ तुम।

निशान्त पन्त “निशु”

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