शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

कह दो अपनी यादों

कह दो अपनी यादों से तुम,
मुझे जलाना छोड़ दें अब,
जब तुम्हे नहीं है वास्ता कोई,
मुझे सताना छोड़ दें अब।

वो चांदनी रात है याद मुझे,
आई थी मिलने झील पे जब,
एक पल को लगा की चाँद हो तुम,
तुमसे ही रोशन लगी थी शब।

वो बातें तुम्हारी मीठी सी,
कुछ मिश्री सी कुछ इमली सी,
वो तुम्हारा हँसता चेहरा,
वो उठती गिरती साँसों का अदब।

पर अब हो नहीं तुम पास मेरे,
यादों में ही बस बसी हो तुम,
जाओ तुम हो जाओ परे मुझसे,
बस दर्द ही है तुम्हारा सबब।

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here कह दो अपनी यादों

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें