सोमवार, 16 फ़रवरी 2015

हम-सफर बन जाओ।

एक छोटे से सफर का सहारा
बनो करनी कुछ तुमसे बातें हैं।

कुछ खुशियों भरी मेरी शामें हैं
और कुछ तनहा सी रातें हैं।

आओ एक सौदा कर लें
मेरी शाम तुम्हारी हो जाए।

जिससे मेरी तन्हाई
तेरी जुल्फों में खो जाए।

जब मस्त पवन के झौकों से
तेरा आँचल लहराता है।

जब हंसी सबेरा होठों पे
कुमुदनी बन के मुस्काता है।

कैसे रहें खामोश हम
ये धड़कन कुछ कह जाती है।

दिल में कुछ हो जाता है और
साँसों की लचक बढ़ जाती है।

मैं हूँ प्यासा तुम मुझ पर
बारिश का असर बन जाओ।

भटक रहा हूँ राहों में
तुम मेरा बसर बन जाओ।

हरा सके न मुझे कोई
तुम मेरा जफर बन जाओ।

इस छोटे से सफर के तुम
अब हम-सफर बन जाओ।

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