गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

हम किसी से कम नहीं

हमारा शोषण कर के अपना गुरूर दिखाने वाले
कहीं ऐसा न हो तेरी हसी पे लगाम हम लगा दें
अपने घमंड में मुझको इतना बर्बाद न कर
की तेरी तबाही का इल्जाम तुझी पर हम लगा दें

हमारी ख़ामोशी को बुझता अंगार न समझ
हम में वो चिंगारी है जो तेरे लोहे में आग लगा देंगे
माना इन्द्रधनुष जैसे सात रंग हैं हम में
पर सब मिल जाएँ तो तेरे दामन पे दाग लगा देंगे

छोटा सा कंकड़ ही सही हम
चाहे तो तेरी आँखों में पानी ला देंगे
हवा का हल्का झोंका न सकझ लेना हमें
हम वो तुंफा हैं जो सुनामी ला देंगे – प्रीती श्रीवास्तव

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here हम किसी से कम नहीं

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें