बुधवार, 1 जुलाई 2015

माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है

माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है
जिसके पास माँ नहीं ओ बड़ा बदनशीब है।

माँ की आचार की छाया सब की नसीब बनाया
माँ के आशीष के आगे कोई दुःख टिक न पाया
माँ के आशीष से सिकंदर बना महान
माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है।

माँ की ममता और प्यार जिस से ए संसार
जिस के पास माँ नहीं वो है लचार
माँ से जगत माँ से संसार
माँ न होती तो कुछ न होता
माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है।

माँ हमें देती आचार ब्यवहार और संस्कार
यही गुण करते हैं जगत निर्माण
माँ जैसी होंगी दुनियाँ वैसी होगी
माँ ही करती है जगत निर्माण
माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है।

माँ है ममता का सागर दृढ़ता वीरता सहनशीलता और गम्भीरता में आगर
माँ है करुणा का सागर
इसके आगे सब तुछ्य यहाँ पर
माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है

कहे नरेन्द्र सुनो साथी
मेरी बात का बांध लो गांठी
माँ का न करो अपमान
वर्ना फटेगी यह धरती
आकाश से बरसेगा आग
माँ से बड़ा इस दुनियाँ में न कोई है।

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