आँख के मोती पानी हो गए |
सब किस्से कहानी हो गए ||
दीवार एक खिंची आँगन में,
रिश्ते सब बेमानी हो गए ||
शहर बदले हालात बदले,
वो हमसे कोस कानी हो गए ||
दौलत का रंग भी अजब है,
चढ़ते ही अभिमानी हो गए ||
कोई कंगाल है महोब्बत में,
तो कोई राजा-रानी हो गए ||
‘माही’ रहा जमीं से जुड़कर,
लोग बड़े आसमानी हो गए ||
* कोस कानी – बहुत दूर हो जाना
:- महेश कुमार कुलदीप ‘माही’
+918511037804

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