सारे जहा का प्यार
  राह  चलते,  ठोकर खाते,
    हुआ मै हताश , फिर भी है तलाश,
    राह पर बिखरे थे कांटे ,
    दर्द भूलाकर हम चल दिये ,
    किसी ने  पुछा हमे, ये क्या है,
    हमने  हंसकर फुल कह दिये,
    तेज कडी धूप हो या पानी की बौच्छार,
    हम  तो ऐसे  चल रहे थे, जैसे दो धारि तलवार ,
    बस थोडी और दुरी पर है मंजिल हमारी
    फिर होगी मन कि  मुरादे पुरी,
  जिसकी थी तलाश हमे, हमने उसको पा लिये,
    ये सारे दर्द सहे हमने सिर्फ, दुनिया के खुशी के लिये ,
    और जिसकी हम तलाश कर रहे थे, वह है सारे जहा का प्यार…..

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