बुधवार, 11 मार्च 2015

मुक्तक

बयां लफ्जो में जो ना हो,मोहब्बत दासता है वो.
बिना मंजिल के जो पहुंचे मोहब्बत रास्ता है वो.
मेरी नजरो है तू क्या ,जमाना ये कंहा जाने.
अगर तू है,तो मैं हूं, मोहब्बत वास्ता है वो.(१)

हर शख्स के हिस्से में कहां प्यार आता है?
किसी के फूल आते है, किसी के खार आता है
हम तो मुसका दिये यूंही तम्हे देखकर दिलबर
हमे अ यार मोहब्बत का कहां इजहार आता है?(२)

मोहब्बत दास्तां दिल की , दिवाने लोग कहते है
आशिकी अश्को की प्याली, दिवाने लोग कहते है
यहां मजनुओं के हिस्सेआंसू, गम, और जुदाई है
चाहते चार दिन की है, यहां सब लोग कहते है(३)

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