शुक्रवार, 13 मार्च 2015

।।गजल।।बादशाह हूँ मै।।

।।गजल।।बादशाह हूँ मैं ।।

तेरा दरिया तेरी मंजिल तेरी पनाह हूँ मैं ।।
तेरी वफ़ा तेरी अदा का तलबगार हूँ मैं ।।

बिखर गया हूँ आकर तेरे आगोश के शाये में ।।
तेरी इस बेबस कशिश का गवाह हूँ मै ।।2।।

तेरे ख्वाबो की मंजिल से लौट कर आया हूँ ।।
तेरा साथी तेरा हमदम तेरा आगाह हूँ मैं ।।3।।

तू कुछ भी नही है मेरी जन्नत के सिवा हमदिल ।।
तेरे लब्जो की सजा तेरी निगाह हूँ मै ।।4।।

लोग तो जलते है मेरी इन वफाओ से दोस्त ।।
क्योंकि जानते है तेरे हुस्न का बादशाह हूँ मै।। 5।।

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