गुरुवार, 19 मार्च 2015

हमसफ़र बनाने की चाह।

मत पूछ यूँ चुरा के दिल मैं दिल कहाँ रखता हूँ।
धड़के है तेरा दिल जहाँ मैं दिल वहाँ रखता हूँ।
बस तुम ही तो हो अरमाँ हर लम्हा मेरे दिल के।
सितारों से तेरी मांग सजाने की चाह रखता हूँ।

मैं हवा नहीं हूँ जो तुम्हें छूकर गुजर गया हूँ।
तेरी सांसो में हूँ शामिल दिल में उतर गया हूँ।
कभी महसूस करके देखो मैं परछांई हूँ तुम्हारी।
जिस राह तुम गए हो मैं भी उधर गया हूँ।

तेरे लिए महफ़िल सजाने की चाह रखता हूँ।
सितारों से तेरी मांग सजाने की चाह रखता हूँ।

तेरी इक हंसी की खातिर खुद को रुला भी लूंगा।
तेरी ख़ुशी की खातिर खुद को सुला भी लूंगा।
माटी हूँ जैसा चाहो तुम रूप बना लेना
है पहचान मेरी तुमसे मैं खुद को भुला भी लूंगा।

तेरे लिए खुद को मिटाने की चाह रखता हूँ।
सितारों से तेरी मांग सजाने की चाह रखता हूँ।

ये जिस्म है सफर पे,रूह तुम हो जहाँ वहीं है।
देखा है मैंने तुझमें खुदा जो अगर कहीं है।
हर रोज मेरा अश्क़ों से सिरहाना भीगता है।
कर लो यकीं है मुहब्बत कोई दगा नहीं है।

तुमको अपना हमसफ़र बनाने की चाह रखता हूँ।
सितारों से तेरी मांग सजाने की चाह रखता हूँ।

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