सोमवार, 23 मार्च 2015

आज तो बहुत ख़ुश हूँ मैं

ख़ुशी कभी मैं अपनी दिखाती नहीं ,
और दुःख किसी से जताती नहीं।
हैं चीज़ें बहुत सी बताने के लिए,
पर ये बात और है की मैं किसी को बताती नहीं||

जिंदगी भी एक हसीं खेल की तरह है,
और आँसू भी ताश के पत्तों की तरह है |
जीत गई तो आँखों में रह जायेंगे,
और हार गई तो बेबसी बन के बह जायेंगे||

सब सोचते हैं मुघे किसी का गम नहीं ,
और परेशानियाँ बयां करने वालों में से हम नहीं|
अग़र हुई कभी किसी मज़बूरी की शिकार,
फिर भी कोई समघ ले हमें इतना किसी में दम नहीं||

हूँ ख़ुद में उलघी हुई पर औरों के लिए सुलघ गई,
इतना नज़रअंदाज़ किया ख़ुद को की खुद से उलघ गई|
अच्छा लगता है जब कोई हसता है और वज़ह मैं बनती हूँ,
तकलीफ़ें अपनी भुला के सुकून से सोतीं हूँ||

नहीं पता मुघे मेरे हालात क्या हैं,
उलघ्नो में उल्घे मेरे जज़्बात क्या हैं|
है अगर ख़बर किसी को मेरे तकलीफों की,
तो बता दे मुघे तकलीफ़ों से ये मुलाक़ात क्या है||

मुश्किलें इतनी हैं की वो ख़ुद में उलघ गईं हैं ,
इतनी खुद में उलघी की मुघसे सुलघ गईं हैं|
है तक़दीर में यही तो बस यही सही है,
दुखी हूँ मैं अब इस बात का भी मुघे गम नहीं है||

अपनी आदत नहीं औरों से बयां करना,
हूँ ख़फ़ा ख़ुद से और तकलीफ़ों से मैं|
पर अब भी लोगों को कहते सुनती हूँ की,
आज तो बहुत ख़ुश हूँ मैं||

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