ख़ुशी कभी मैं अपनी दिखाती नहीं ,
  और दुःख किसी से जताती नहीं।
  हैं चीज़ें बहुत सी बताने के लिए,
  पर ये बात और है की मैं किसी को बताती नहीं|| 
 जिंदगी भी एक हसीं खेल की तरह है,
  और आँसू भी ताश के पत्तों की तरह है |
   जीत गई तो आँखों में रह जायेंगे,
  और हार गई तो बेबसी बन के बह जायेंगे|| 
सब सोचते हैं मुघे किसी का गम नहीं ,
  और परेशानियाँ बयां करने वालों में से हम नहीं|
  अग़र हुई कभी किसी  मज़बूरी की शिकार,
  फिर भी कोई समघ ले हमें इतना किसी में दम नहीं|| 
 हूँ ख़ुद में उलघी हुई पर औरों के लिए सुलघ गई,
  इतना नज़रअंदाज़ किया ख़ुद को की खुद से उलघ गई|
  अच्छा लगता है जब कोई हसता  है और वज़ह मैं बनती हूँ,
  तकलीफ़ें अपनी भुला के सुकून से सोतीं हूँ|| 
नहीं पता मुघे मेरे हालात क्या हैं,
  उलघ्नो में उल्घे मेरे जज़्बात क्या हैं|
   है अगर ख़बर किसी को मेरे तकलीफों की,
  तो बता दे मुघे तकलीफ़ों से ये मुलाक़ात क्या है|| 
मुश्किलें इतनी हैं की वो ख़ुद में उलघ गईं हैं ,
  इतनी खुद में उलघी की मुघसे सुलघ गईं हैं|
  है तक़दीर में यही तो बस यही सही है,
  दुखी हूँ मैं अब इस बात का भी मुघे गम नहीं है|| 
अपनी आदत नहीं औरों से बयां करना,
  हूँ ख़फ़ा ख़ुद से और तकलीफ़ों से मैं|
  पर अब भी  लोगों को कहते सुनती हूँ की,
  आज तो बहुत ख़ुश हूँ मैं|| 

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