शनिवार, 21 मार्च 2015

अंजाम ज़िन्दगी है।

आगाज ज़िन्दगी है,अंजाम ज़िन्दगी है।
आज गम है कल ख़ुशी पैगाम ज़िन्दगी है।

कब किसकी हमसफ़र ये कब किससे ये खफा है।
कब है वफ़ा की मूरत,कब किससे बेवफा है।

इस नाम की वजह से बदनाम ज़िन्दगी है।
आज गम है कल ख़ुशी पैगाम ज़िन्दगी है।

कोई भी न बचा है हर एक से वास्ता है।
फूलों की है ये मन्ज़िल कभी काँटों का रास्ता है।

प्यास है कभी तो कभी जाम ज़िन्दगी है।
आज गम है कल ख़ुशी पैगाम ज़िन्दगी है।

आये हैं इस जहाँ में न यूँ ही चले जाना
हर किसी के दिल में अपनी जगह बनाना।

कुछ करके दिखाने का ही नाम ज़िन्दगी है।
आज गम है कल ख़ुशी पैगाम ज़िन्दगी है।

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