शनिवार, 21 मार्च 2015

नवरात्रे।।

तुम सरिता का शीतल जल हो
तुम तरुवर की छाया माँ।
प्यास बुझाकर हृदय से लगाया
जो भी शरण में आया माँ।

आदिशक्ति हे सिंहवाहिनी तुमने
इस जग का निर्माण किया।
महिषासुर का मर्दन करके,माँ
देवों का कल्याण किया।

शैलपुत्री समस्त कष्टों को हर लें
ब्रह्मचारिणी हैं मंगलकारिणी।
चंद्रघंटा माँ घर में वैभव बरसायें
कुष्मांडा हैं संकट हरिणी।

स्कंदमाता भवसागर से पार करें
कात्यायनी आशा की ज्योति।
माँ कालरात्रि देवी हैं शस्त्रधारिणी
महागौरी निर्मल हॄदय की गति।

सिद्धिदात्री माँ सिद्ध करे सब कार्य
निश्छल,परोपकारी हो जीवन।
माँ दुर्गा में समाहित नौ देवी के रूप
अर्पण चरणों में तन,मन व धन।

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