चन्दन के द्वारे हैं तेरे
  मुझ की कुटिया अनमनी
  राजी राजी पंख पखारे
  अपनी कहानी अनकही 
सौरभ का खटोला डोले
  खटिया अपनी जर सनी
  सप्तरस  ले चटकारे
  चटनी अपने घर बनी 
दुनिया तुमको सर चढ़ाये
  मुझ पर घर की धुन तनी
  भोज तोरा कूकर बिगाड़े
  यहाँ दाल भी नहीं बनी 
रास्तों पर सिगरेट सुलगाये
  नस्लें  तेरी पढ़ी लिखी
  तुझ को  भी तेवर दिखाए
  नीति तेरी घर घढी
कुबेर सा धन कबाड़े
  निर्लझ तेरी मनमनी
  और  मेरा घर बुहारे
  मेरी बिटिया निर्धनी     

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