सोमवार, 30 मार्च 2015

जीना सिखाया है।

ज़िन्दगी में होके शामिल जीना सिखाया है।
दिल में पाक मुहब्बत का पैगाम लाया है।

मुरझा जो गई कली फिर अश्क़ बहायेगी
लहरों की रवानी पे भी उदासी छायेगी।

बंदिशों में रखा है क्यूँ तुमने जुल्फों को
गालों पे ले आओ,फिर बारिश हो जाएगी।

देख लूँ अक्श खुद का तुम्हें आईना बनाया है।
प्यासे को इक बूँद के लिए कितना सताया है।

परदे में रहकर तुमने मेरा दीदार है किया।
नज़र की चिलमन से कभी इजहार है किया।

कहीं छुपा न लो चेहरा अपने हाथों में
बस यही सोचकर हमने इनकार है किया।

गर्म हवाएँ वक़्त की क्या खाक झुलसायेंगी।
चांदनी से शीतल तेरी जुल्फों की छाया है।

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