क्या थी मेरी गलती माँ,
  जो तूने मुझे मिटा दिया,
  अपनी ही हांथो से तूने,
  आँचल अपना हटा दिया,
देख न पायी मैं तेरी सूरत ,
  कैसी थी माँ तेरी मूरत,
  चली गई मैं यहाँ से रोवत,
  कैसी थी माँ पापा की सूरत |
बेटी हूँ मैं इसी लिए क्या ,
  हाथ अपना हटा लिया ?
  क्या थी मेरी गलती माँ,
  जो तूने मुझे मिटा दिया ?
यह दुनिया देखने से पहले,
  क्यो तूने मुझे सुला दिया,
  क्या थी मेरी गलती माँ,
  जो इतना बड़ा सजा दिया ? 
” बेटी है तो क्या हुआ,ये है आँखों का नूर  |
  जीने का अद्दिकार छीन कर करो न इनको दूर | ”
 संदीप कुमार सिंह |
  (हिंदी विभाग, तेज़पुर विश्वविधयालय )
   मो.नॉ. +९१८४७१९१०६४०

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