शुक्रवार, 20 मार्च 2015

मेरे आने के बाद

      मेरे आने के बाद

      कैसे भुला सकता हूँ उनकी मेहरबानी
      जिनके रहमो करम से आज मेरा वजूद
      अनमोल रत्न समझा था मुझे उन्होंने
      पाया खुद को दुनिया में सबसे अमीर,
      जैसे हो गयी थी उनकी हर दुआ कबूल, मेरे आने के बाद !!

      कैसे कर सकता हु नजर अंदाज उसको
      जिसके लिए बेरंग था हर नूर मेरे बिन
      बैठे रहते थे उदास अकेले तन्हाइयो में
      मुझे याद है उसकी वो अदा आज भी
      नजरे झुकाकर चुपके से मुस्काना, मेरे आने के बाद !!

      कैसे मिटा दूँ उनकी यादो को दिल से
      जिनके लिए अमूल्य मेरा हर एक क्षण
      खिल उठते नयन पुष्प कमल से उनके
      महक उठता खुशियो से चमन जिनका,
      महफूज समझते खुद को जन्नत में, मेरे आने के बाद !!

      क्या भुला सकता हूँ मैं उन चौबारों को
      यारो संग जहाँ बीता था अपना बचपन
      कभी खेलते, लड़ते-झगड़ते थे हम कल
      जहाँ गुजरे थे अपने बेख़ौफ़ मस्ती के पल
      सुनसान पड़ा आज वो गलियारा, मेरे आने के बाद !!

      आज जीना चाहता हूँ हर सूरत-ऐ-हाल
      कर जाऊ न्योछावर सब कुछ यहाँ अपना
      अहसास दिलाया मुझको मेरे होने का
      जरुरत में ताकत बन मेरे साथ चले
      हो जाता जिनका दिल बाग़-बाग़, मेरे आने के बाद !!

      बात रिश्तो की असलियत की हो
      या चेहरे पर बिखरती मुस्कान की
      भला कोई क्या समझेगा हकीकत
      दिल, जिगर उठते उनके अरमान की
      सबकुछ गवा दिया जिन्होंने, मेरे आने के बाद !!

      !
      !
      डी. के. निवातियाँ_______@@@

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