गली-गली मौहल्ले
           नुक्कड़ और चौराहे पर
           बज रहा है डंका
           भारतीय चुनाव का
           संघर्ष और ईमान का
           कौन हारे
           कौन जीते
           सोच रहा है इंसान अब
           हिसाब लगाकर वोटों का I
           लेकर आशाएँ,भावनाएँ
           शायद कोई नेता
           बन जाये भगवान
           बचाले देश को,
           जनता को
           मँहगाई की मार से
           भ्रष्टाचार से I
           निगाहें टिकी है सबकी,
           जमी है
           कई सालों से
           उस पुरुष के लिए
           जिसे चुनकर जनता
           खड़ी कर रही है आगे
           कई वोट देकर I
           पुकार रही है
           आओ,आओ अब पूरा करो
           अपने वादे
           जो सुनाये थे
           चुनाव से पहले
           छाती पीट-पीटकर सबको
           जनता को भाग्य मानकर
           परिवार मानकर I
रविवार, 22 मार्च 2015
चुनावी डंका
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