गुरुवार, 26 मार्च 2015

एक बार तो मिल ले।गजल।।

मैं मुन्तजिर हूँ तेरा एक बार तो मिल ले।
बस राहे गुजर है तू मेरा एक बार तो मिल ले।

मुद्दत हुई मैं तेरी राह में ही रुक हूँ।
तुमसे ही है करार मेरा एक बार तो मिल ले।

मैं अब हवा में लौ सा डगमगाने लगा हूँ।
कब बुझ जाये ये दिया एक बार तो मिल ले।

कोई भी कर के बहाना दीदार करा दो।
फिर मंजूर है इंकार तेरा एक बार तो मिल ले।

लहरों पर बना बैठा हूँ चाहत का आशियाँ।
और तू बन गया साहिल एक बार तो मिल ले।

अब तलक करता रहा मैं प्यार का इजहार।
खामोश हो रहा संसार मेरा एक बार तो मिल ले।

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