शनिवार, 21 मार्च 2015

गुज़ारिश

मेरे हाथों की मेहंदी की गुज़ारिश है ,imagesr
तुम अपनी चौखट फूंलों से सजा लेना
दरों दीवारों को स्याह रंगवा देना,
मैंने आँचल में सितारे जड़ा रखे हैं ,
नमी वाली रात- रानी की खुशबू में
यूँ महसूस कर सकूँ मैं अपने चाँद को ,
छू लेने को बेताब नरम हथेलियों से,
….जिसे अब तलक बस दूर से देखा है …….

अनिल कुमार सिंह

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here गुज़ारिश

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें