मेरे हाथों की मेहंदी की गुज़ारिश है ,
  तुम अपनी चौखट फूंलों से सजा लेना
  दरों दीवारों को स्याह रंगवा देना,
  मैंने आँचल में सितारे जड़ा रखे हैं ,
  नमी वाली रात- रानी की खुशबू में
  यूँ महसूस कर सकूँ मैं अपने चाँद को ,
  छू लेने को बेताब नरम हथेलियों से,
  ….जिसे अब तलक बस दूर से देखा है …….
अनिल कुमार सिंह
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