माना मैने एक दुनीया बनाया था लम्हो को जो कर
  एक आशियाना बनाया था तीनका तीनका जोड कर
  कमबख्त तुफान भी निकला कमाल का दुश्मन
  उडा ले गया अशियाना मेरा सारा शहर छोड़ कर
हो चुका जो होना था ए दिल उसको ना अब याद कर
  उसे पाने के लिये खुदा से अब और फरीयाद ना कर
  ठोकरे तो है उमर लम्बी है और फासला भी है बडा
  उसकी चाहत मे अपनी जिन्दगी को यु बर्बाद ना कर
चली गया वो भी मुझसे गैरो कि तरह मुह मोड कर
  बसाया है उसने एक दुनीया तेरी दुनीया को छोड़ कर
  जाना था तो वो चली गयी जीने अपनी जीन्दगी
  लेकिन खुदा…..
  उसे वो ना छोड़ जाये जीसके लीये गयी वो मुझे छोड़ कर
भरोसा अब तक नही वो गयी है मुझसे से मुह मोड कर
  दर्द होता है जब कोइ सपनो को जाता है यु तोड कर
  कैसे गुजरता है दिन और कैसे कटती है राते
  उनसे पुछो जीनका जाता है कोइ अपना छोड़ कर…

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