मैने देखा टी•वी• पर जब,
   देश के शहीद को तो,
  एक  बात जेहन में चुभ सी गई हैं।
  अरमानों की उठी अर्थी,
  वीरों से भरी ये धरती,
  कैसे आज मौन गुमसुम सी हो गई हैं।।
  आतंकी धुआँ ये काला,
  सीमा से जो आ रहा,
  हाय ! कैसे इसकी मजाल हो गई।
  समझ ना आई मुझे,बात ये अभी तक,
  कैसे सरहद भी हैवान हो गई।।
  दोस्ती के फूलों का तमाशा बन गया,
  कायरों का ख़ूनी खेल पेशा बन गया।।
  नफरतें फैलाना इनकी शान हो गई,
  गोला औल बारूद पहचान हो गई।।
  जाने क्या उखाड़ेंगे
  आतंक फैलाकर ये जो,
  पाक ये ज़मीन नापाक हो गई।
  अरे ! सरहद पर जाके तुम गौर से देखो,
  कैसे रणभूमि श्मशान हो गयी।।
  प्रमाण देता रहा संसद भवन,
  गोलियों से गुँजता मुम्बई चा कण-कण।
  चारों और मौत का मातम छाया हैं,
  काल विकराल कैसा आज आया हैं।
  अरे ! घुसपैठ का खेल ये रुकता नहीं अब,
  बात आज ये सरेआम हो गई।
  लाचार हैं भारत का पहरा तभी तो ,
  सुरक्षा तंत्र सवालिया निशान हो गयी।।
  शायद अब शेरों वाला जोश ना रहा।
  हिन्द के सपुतों को होश ना रहा।।
  माटी से वीरों की नस्ल धूल हो गई।
  तिरंगे की शान जाने कहाँ खो गई।।
  अब हर सख्श मजलूम हो गया।
  सांगा वाला तेज जाने गुम हो गया।।
  शेरों की गुफा में गीदड़ खेलता हैं अब,
  उसके ही हाथ में लगाम हो गयी।
  मौन हैं भारत के मंत्री सभी और,
  भ्रष्टाचार देश की पहचान हो गई।।
  जब चंद लोगों से लुटिया डूबी थी।
  शेरों वाली कौम सरेआम बिकी थी।।
  जाफर जयचन्द का इतिहास गवाह हैं।
  प्लासी बक्सर का मैदान गवाह हैं।।
  देशद्रोही नीति का अंजाम देख लो।
  एक बार आकर तुम चित्तौड़ देख लो।।
  कि नंगी शमशीर लिए घुमे बनवीर आज,
  कैसी देश की ये चाल हो गयी।
  और कब तक बचाए मेवाड़ी स्वाभिमान को,
  पन्ना जैसी कोख परेशान हो गई।।
  एक नहीं दो नहीं दस हाथ हो।
  भारती के लाल सब एक साथ हो।।
  इतिहास के पन्नों पर नाम करों।
  कारगिल की फिर से दोहरान करो।।
  याद करो पैंसठ का ओजस्वी संग्राम।
  नारा हो जुबाँ पर बस एक इंकलाब।।
  कि टूट पड़ो भेड़ियों पर ख़ाल उधेड़ डालो,
  कैसे घुसे अब ये सवाल हो गया।
  और धमाकों से इनको बता दो ए यारों,
  भारती का बेटा महाकाल हो गया।।
  “अनमोल” लहू से कहानी लिखेगा।
  आतंकवादी शीश जब  सीमा पे कटेगा।।
  पापियों का देश से अब राज हटेगा।
  हर हिन्दवासी अब सीमा पर डटेगा।।
  अब सुरवीरों का सीना तनेगा।
  पन्द्रह अगस्त अबके लाहौर में मनेगा।।
  ऐसा लगे तिरंगा औकात बताए,
  हर पाकवासी वन्देमातरम् गाये।।
  देश में ना कभी भी आतंकी हमला हो।
  चारों और फैले ख़ुशी सबका भला हो।।
  लोग सभी सुख और चैन से जिएँ।
  नदियों से बहता अमृत जल पिएँ।।
  शान्ति खुशहाली से देश हरा हो।
  कोई भी ना आदमी आतंक से डरा हो।।
  गुले गुलजार ये गुलाब हो गया।
  वाह रे वाह ! लेखनी कमाल हो गया।।
  (मित्रों रचना कैसी लगी ज़रूर प्रतिक्रिया दे
  पता Anmoltiwari38@gmail.com
  रचनागत  त्रुटियों के लिए मैं सादर क्षमा प्राथी हूँ।
  आशा हैं आप प्रबुद्ध पाठक मेरी भावनाओं का मान रखेंगे)
सोमवार, 16 मार्च 2015
*** आतंक ***
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