स्वच्छंद उड़ो मुक्त गगन में
  पूर्ण करो अभियान।
  विश्वास हृदय में हो मगर
  तनिक नहीं अभिमान।
दृष्टि लक्ष्य की अनन्य रहे
  विचलित,व्यथित न हो पाये।
  प्राप्त करो प्रथम परिणाम
  धैर्य,हृदय न खो पाये।
अभिलाषाएं हों भले गगन में
  पग धूल धूसरित रहने दो।
  सामर्थ्य नाप लो उड़ान की
  कष्ट परों को सहने दो।
निज नयन नीर के आगे
  नतमस्तक न आस करो।
  असफलताओं के क्रम से
  न मन्दगति से प्रयास करो।
आलोचना के मुख शर्मसार हों
  कुछ तो ऐसा प्रबंध करो।
  आलौकिक यूँ तेज भरो
  कि नेत्र भानु के बन्द करो।

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