गुरुवार, 19 मार्च 2015

मधुर मिलन

शाम रूमानी मौसम है
कोई प्रिया को पयाम दे आये
बैठे है राहगुजर में इंतिजार करते
वो दौड़ती हुई सज-धझ के पास आये

जुल्फ लहराए हँवा में
उनकी चुनर भी उड़ जाये
स्वागत के लिए बदल गरजे
रिमझिम-रिमझिम बरसात हो जाये

वो करीब आके चुनर मुझे ओढ़ाए
प्रित मधुर मिलन यादगार हो जाये
न हो ह्या आज कोई
दिल से दिल की बात हो जाये

मोर- मोरनी बन हम नाचते रहे
शाम ढल के चाहे रात क्यों न हो जाये
बदरा सावन में भीगते रहे मस्त-मगन
दुनियाँ को आज सारी हम भूल जाये

आ इक दूसरे में समा के आज हम
अपनी अमर प्रेम कहानी लिख जाये
न जियेंगे इक दूसरे के बिन कभी
आ आज हम दिल की धड़कन बन जाये

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