घणूं ही करियो जप
  घणूं ही करयो तप
  घणी जपी माळा
  पण अंतस में तो
  रहयो अंधेरो
  जमेडा रहया जाळा
  घणा ही दिन ढोल्यो ग्यान
  लोगां नै भरमाया
  करता रहया उजळ धोळिया
  सजाता रहया काया
  पण छापा तिलक लगाया सूं
  राम कद मिलै
  अर कद मिलै कबीर
  कोरो झूठ को सूत कात्यां
  जिका नै मान्या सदगरू
  अर चरण खोळर पिया
  बै ही हिया पर
  सैं सूं ज्यादा हियै पर
  घाव दिया
  मिट्यो तो कोनी
  दूणू बढ गयो भरम
  औरां नै ढूंढता  ढूंढता
  भूलग्या
  खुद रो ही धरम 
अजीत सिंह चारण
  9462682915

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