रंग ये कोई
ले आये जज्बातों में
जी सकूँ
टूटे हुए हालातों में
रजा भी
गुमाँ करे शोहरत पर अपनी
दस्तक दे
नसीब भी मुलाकातों में
तकिये पर
रखा हो ओझ सूरज का
पुष्पों का
रश भरा हो मुस्काहटों में
तंग हो गली
खिखिलाहटों से अपनी
रुकावटें ना हों
दिल की बातों में
साग भात सा
मिलन लेकर आँखों में
रातभर जागे
हम होलीकी रातों में
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