इस दिल को कितने जख्म तूने दिए हिसाब लगा नहीं सकते ,
तेरी इज्जत की परवाह है ये जख्म किसी को दिखा भी नहीं सकते ,
रिश्ता रुमानियत का ही सही हमने निभाया तो था,
दुनिया जहाँ का प्यार तुझपे लुटाया तो था,
पागल भी कहा ज़माने ने हमें ,
तेरी गलतियों को ज़माने से छुपाया तो था,
पता नही क्यों ,
आज भी तेरी नजरो में खो जाने को जी चाहता है,
क्यों तेरे आसपास होने का पता चल जाता है,
तेरे आने से हवा में एक खुशबू सी फेल जाती है,
गेसुओं की घटा रात सी कर जाती है,
गुजरते लम्हे थमने का नाम नहीं लेते ,
दिल बेचैन रहेगा तब तक जब तक दामन तुम्हारा थाम नहीं लेते,
मसरुफ़ इरादे उलफत का इनाम नहीं देते,
काश तुम्हारे लिए हम वक्त को थाम लेते !!!
बुधवार, 4 मार्च 2015
तेरी याद मे
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