मंगलवार, 3 मार्च 2015

साथ तू हाथ पकड़ कदम दो चल दे
दूर ना सही थोड़ा पास ही चल दे,
कहां जाना हो ना इसकी हो खबर,
दुनिया की जहां ना हमको फिकर,
मंजिल तक ना जाना हो,
बस यूँ ही चलते रहना हो,
रास्ते सब छोटे लगने लगेंगे,
फूल फिर राहों में बिछ ने लगेंगे।

साथ तू हाथ पकड़ कदम दो चल दे,
दूर ना सही थोड़ा पास ही चल दे।।

शाम बस यही पे हो जाएगी,
रात तेरी बाहों में कट जाएगी,
फिर भी ये खुशी नही जाएगी,
तू जब फिर से शरमाएगी,
साथ तू हाथ पकड़ कदम दो चल दे,
दूर ना सही थोड़ा पास ही चल दे।।

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