शनिवार, 7 मार्च 2015

धागे

धागे
यूं तो कच्चे होते है
पर
सीं देते है दिलों की दूरियां
लगा देते है पैबन्द
फटि जहां से मानवता
और ढक देते है समाज की विदूपताओं को
किसी कलाई पर बंधकर
क्योंकि धागे
हिन्दू और मुसलमां नहीं होते
मजहबी और जिहादी नहिं होते
धागे है सिफ वादा किसी हूमायू का कमावती को
धागे है इन्तजार
आंखो का
जिनकी कलाई खो गई
बफिली घाटी में
आओ सहेज ले इन धागो को
और बांध ले इऩसे दिल
रंग जायें इनके रंग आज के दिन

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