शुक्रवार, 6 मार्च 2015

गज़ल चिठ्ठी ना कोई सन्देश... इक अरसा हुआ तुमको देखा नही मिलते हैं हम तुम बस मेरे ख़्वाबों में पूरे दिन का सफ़र तन्हा कटता नही चलते हैं जज़्बात छिपाए अपने दिल में बस करो कि इंतज़ार और होता नहीं जीते  हैं इक इक पल किसी धोखे में मचलते हैं जज़्बात, करार आता नहीं दबा देते हैं एहसास दिल के कोनों में लिखते हैं जो खत, जवाब आता नहीं ढूंढते हैं जवाब उलझे से सवालों में । -तरसेम कौर 'सुमि'

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Read Complete Poem/Kavya Here गज़ल चिठ्ठी ना कोई सन्देश... इक अरसा हुआ तुमको देखा नही मिलते हैं हम तुम बस मेरे ख़्वाबों में पूरे दिन का सफ़र तन्हा कटता नही चलते हैं जज़्बात छिपाए अपने दिल में बस करो कि इंतज़ार और होता नहीं जीते  हैं इक इक पल किसी धोखे में मचलते हैं जज़्बात, करार आता नहीं दबा देते हैं एहसास दिल के कोनों में लिखते हैं जो खत, जवाब आता नहीं ढूंढते हैं जवाब उलझे से सवालों में । -तरसेम कौर 'सुमि'

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