- कुछ
कुछ कसूर हमारी निगाहो का था
कुछ कमाल उनकी अदाओ का था
कुछ असर रंगीन मौसम का था
कुछ रसख उनके मिजाज का था
कुछ गफलत अपनी धड़कनो की थी
कुछ प्रमाद उनकी मुस्कराहट की थी
कुछ मौसम का बदला मिजाज था
कुछ उनका बहका हुआ अंदाज था
कुछ गुमराह हुआ अपना दिल था
कुछ भटका हुआ उनका मन था
कुछ सुलगते हुए अपने अरमान थे
कुछ धड़कते हुए उनकी ख्वाब थे
कुछ बहकी हुई सी अपनी साँसे थी
कुछ हवा में फैली उनकी खुसबू थी
कुछ दीदार का हमको ऐतबार था
कुछ मिलन का उनको इंतज़ार था
कुछ असर हमारी अरदास का था
कुछ असर उनकी दुआओ का था
कुछ खुदगर्जी हम दोनों की थी
कुछ रजामंदी उसमे रब की थी
वरना कहा संभव था मिलन हम दोनों का
बेदर्द जमाने ने तो छोड़ी कोई कसर न थी
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डी. के. निवातियाँ______!!!शब्दार्थ:—-
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रसख – प्रभाव
गफलत – असावधानी
प्रमाद – लापरवाही
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